- “इमली का चटकारा” कहानी संग्रह की समीक्षा
“दुनिया की आधी आबादी के इमली जैसे जीवन की मिठास और खट्टास लिए” किताब की यह पंच लाइन ही मस्तिष्क के किसी कोने में पंच मारने को काफ़ी है, साहित्यिक भाषा में कहें तो अंदर तक झकझोर देने को काफ़ी है। इमली से चटकारे सी दूर से दिखने वाली महिला की जिंदगी कितनी सिलवटों और परतों में बुनी गुंथी होती है, इस मर्मज्ञ को कहानीकार योजना शाह जैन ने बखूबी अपनी लेखनी के माध्यम से मानव जीवन के भावों को शब्दों के जरिए कागज़ पर उकेरा है। यहां उन्हें महिला होने के कारण भी पात्रों के अनुरूप शब्द चयन में सुविधा रही होगी। कहानीकार योजना शाह जैन जर्मनी के बर्लिन शहर में रहती हैं। “इमली का चटकारा” उनका पहला कहानी संग्रह है। इस कहानी संग्रह में कुल 12 कहानियां हैं और सभी कहानियां स्त्री केंद्रित हैं।
आधुनिक काल की कहानीकार होने के कारण कहानीकार योजना उन सभी बिंदुओं को बेबाकी से छूती नज़र आती है, जहां कई कहानीकारों की कलमें या तो थम जाती हैं या अश्लीलता की ओर मुड़ जाती है। यही वह बिंदु होता है, जहां कलम के खिलाड़ी की पहचान होती है। प्रथम कहानी संग्रह के तौर पर यह संकलन पाठक के मन में एक छाप छोड़ता है। महिला किसी भी देश, समाज की हो और प्रोफ़ेशनली कितनी भी सक्सेसफ़ुल हो, उसके व्यक्तित्व को फ़ुलस्टाप लगाने के लिए कोई न कोई जरूर खड़ा हो जाता है। उस खड़े होने वाले में इतनी हिम्मत नहीं होती कि औरत जैसी महान शख्सियत के आगे सीधा वार कर सके। वह इसके लिए वेश धरता है और असुरक्षा कुंठा के नाम पर डराता है। फ़िर भी स्त्री अपने मनोवैज्ञानिक बल पर जीतती है। यह जीतने का नज़रिया किसी को जीत लगता है और किसी को हार।
बारह कहानियों का यह संग्रह उस उक्ति को सही ठहराता है जहां साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है। कहानी संग्रह समाज को दर्पण दिखाता है कि आधुनिकता किसे कहते हैं, यह सोचना ही नहीं, समझना भी जरूरी है। और फ़िर उसे क्रियान्वित भी करें।
कहानी संग्रह की कहानियां प्रत्येक उम्र की अवस्था और परिवेश को बखूबी बयां करती है। इसलिए किसी एक कहानी और किसी एक पात्र को विश्लेषित करने से अन्य सशक्त कहानियां और कोमल, निर्मल मगर सुदृढ़ भाव से गढ़े गए पात्र गौण हो जाएंगे। यहां सिर्फ़ एक कहानी विशेष “लेडीज बाथरूम” की बात किए बगैर नहीं रह पाऊंगी, कि कहानी पढ़ते-पढ़ते लगा सारे शहर की बदबू मेरी ही नाक में घुस गई है। बहुत खूब वर्णित पृष्ठ 35-36। कहानी को जिन साहित्यिक विधाओं और बिंदुओं पर आंका जाता है, कथ्य, शैली, शिल्प और भाषा, उस सब मापदंडों पर कहानियां अपनी छाप छोड़ने में सफ़ल रही हैं।
कहानीकार योजना शाह जैन भले ही प्रवासी भारतीय हो गई हों किन्तु भारत की समस्याएं उन्हें आज भी विचलित करती है। सबसे उल्लेखनीय बात है कि भारत का सिरमौर हिमालय वह नहीं भूलीं।
आशा है आप और भी कहानी संग्रह लेकर आएंगी जो इसी तरह पठनीय होंगे। आपको इस संग्रह के लिए और भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएं।
पुस्तक: इमली का चटकारा
प्रकाशक: प्रभात पेपरबैक
लेखिका: डॉ योजना जैन शाह
मूल्य: 250/-रुपये
समीक्षा अरूणा घवाना
(लेखन: बाल कहानी, कविता, लेख, चिल्ड्र्न बुक ट्र्स्ट द्वारा हिन्दी में बाल विज्ञान कहानी के लिए पुरस्कृत)